सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi

नमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi के बारे में इस लेख को बहुत अधिक जटिल न बनाते हुए सरलतम रूप में चर्चा करने जा रहे हैं जोकि यह धर्म दुनिया का सबसे निराला एवं सेवारूपी धर्म है। इसके अलावा इस धर्म ग्रंथों में स्त्री-पुरुष एवं दुनिया में मौजूद सभी लोगों को समानरूप से आदर किया जाता है।

इस धर्म (Sikhism) की महत्वता को समझते हुए हम उम्मीद करते हैं कि आप सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindiको पढ़कर इस धर्म (Sikhism in hindi) के सभी 10 गुरुओं से जुड़े अहम तथ्यों की जानकारी को जरूर जानेंगे।

सिख धर्म क्या है – What is Sikh religion in hindi

सिख धर्म दुनिया का सबसे निराला एवं सेवारूपी धर्म है जोकि केवल एक रब (ईश्वर, भगवान, अलाह आदि) में विस्वास रखता है। इस धर्म में पुरुष एवं औरत को समानरुपी सम्मान कर बराबरी का दर्जा दिया जाता है। यह दुनिया का सबसे नवीनतम धर्मों में से एक है जिसकी स्थापना आज से 500 वर्ष से भी पहले गुरु नानक जी के द्वारा हुई थी।

सिख धर्म (Sikhism) की दुनिया में मौजूद सभी धर्मों से अलग एवं खास पहचान होती है – जिसमे वह सिर और दाढ़ी के बाल नहीं कटवाते और सिर पर पग (पगड़ी) बांधने के अलावा हाथ में कड़ा, कछेदा पहनते एवं कृपार आदि साथ में रखते हैं।

इस धर्म (Sikh religion) के मौलिक ग्रंथों के आधार पर दुनिया में मौजूद सभी लोगों को समान (एक रुपी) माना जाता है जोकि किसी भी प्रकार के भेदभाव, जाति-प्रथा एवं कर्म-कांड आदि के खिलाफ एवं समाज की हर्दयपूर्वक सेवा करने का संकल्प रखते हैं। सिख धर्म का गुरुद्वारा (सिखों का मंदिर) दुनिया में मौजूद सभी लोगों के लिए हमेशा खुले रहते हैं। जिससे कि सभी लोग गुरु ग्रन्थ साहिब के आगे अपना माथा टेक सकते हैं और लंगर में प्रसाद हेतु भोजन खा सकते हैं।

सिख धर्म का इतिहास – History of Sikh religion in hindi

सिख धर्म के इतिहास एवं इसके बनने की बात करें तो इस धर्म (Sikhism in hindi) की नींव गुरु नानक देव जी ने सामाज में बहुत अधिक बुराईयों, भेद-भाव एवं जाति-वाद की नीति को देखकर की थी। सिख धर्म के इतिहास (Sikhism history in hindi) को समझने से पहले हमें इस धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के बारे में समझते हुए इतिहास की ओर आगे बढ़ना चाहिए।

गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन वर्ष 1469 में तलवंडी ननकाना साहिब, पाकिस्तान में हुआ था। नानक जी का जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उस समय के मध्य नानक जी के आस-पास हिन्दू और मुस्लिम धर्मों की शिक्षाओं का बहुत अधिक प्रभाव था। इसी कारण नानक जी ने अपनी सुध सँभालते हुए इस्लाम और हिन्दू दोनों धर्म का अध्ययन शुरू कर दिया था। जिस कारण नानक जी में बचपन में ही कवि और दर्शन की अदभुत क्षमता आ गई थी। जिसके चलते उन्होंने बचपन से ही लोगों को प्रेरित कर कहा कि आपको अपने व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा देना चाहिए। जिसके बाद नानक ने स्थानीय साधुओं एवं मौलवियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आपको आंतरिक-ध्यान पर ध्यान देना चाहिए न कि बाहरी दिखावा कर लोगों को प्रेरित करना चाहिए।

सिख परमपराओं में बाताया जाता है कि गुरु नानक देव जी के जन्म के शुरूआती वर्ष खास रहे और ईश्वर ने उन्हें कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया था।

गुरु नानक देव की वर्ष 1496 में शादी हुई और उनका परिवार भी था और कुछ समय तक उन्होंने एक मुंशी के तौर पर भी काम किया। जहाँ नानक ने जाति-वाद, ऊँच-नीच एवं भ्रष्टाचार को करीब से देखा और वह काम छोड़ अध्यात्म का मार्ग चुनने का फैसला कर लिया। क्योंकि नानक ने कम उम्र में ही अध्यात्मिक विषयों के ज्ञान हो चुका था इसी कारण वह प्रकृति में ईश्वर की तलाश करने के लिए निकल गए।

जिसके बाद गुरु नानक देव जी ने 30 वर्ष की आयु में भारत, तिब्बत और अरब होते हुए अध्यात्मिक यात्रा प्रारम्भ कर दी और यह यात्रा नानक के द्वारा काफी अध्ययन एवं तर्क-वितर्क करते हुए 20-25 वर्षों तक अपनी शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने में जारी रखी।

गुरू नानक देव जी ने इसी क्रम में आगे चलकर सिख धर्म (Sikhism) को आकार दिया और एक खुशहाल जीवन जीने एवं दूसरों के प्रति सद्भावना रखने के लिए अध्यात्म स्थापित किया। नानक जी ने अपने जीवन का आखिरी हिस्सा पंजाब (पाकिस्तान) के करतारपुर में गुजारा जहाँ उनके अनैकों अनुयाईयों ने उनके उपदेश सुन इस धर्म की ओर कदम रखा था।

नानक जी (Guru Nanak Ji) का सबसे अहम सन्देश था कि ईश्वर एक है और हर व्यक्ति ईश्वर तक सीधे पहुँच सकता है। जिसके लिए व्यक्ति विशेष को किसी भी प्रकार के कर्मकांडों का पालन करने के लिए पुजारियों एवं मौलवियों की आवश्यता बिलकुल भी नहीं है। इसके अलावा उन्होंने जाति-व्यवस्था छुआ-छूत को ख़त्म करने पर पूर्ण-रूप से जोर दिया। साथ ही गुरूद्वारे के अन्दर लंगर की शुरुआत की गई जिसमे सभी लोग ऊँच-नीच छोड़ एक साथ ज़मीन पर बैठकर भोजन ग्रहण कर सकें।

गुरु नानक के बाद सिख धर्म (Sikhism in hindi) निर्गुण-भक्ति को आगे ले जाने के लिए 9 गुरु और (Nine more masters) हुए मतलब आज तक इस धर्म में वर्ष 1469 से 1708 के बीच 10 गुरुओं ने सिख धर्म की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया है।

सिख के 10 गुरुओं के नाम – All 10 Sikh masters name in hindi

स्थानगुरु जन्म-म्रत्यु वर्ष
पहले गुरुगुरु नानक देव1469-1539
दूसरे गुरुगुरु अंगद देव1504-1552
तीसरे गुरुगुरु अमर दास1479-1574
चौथे गुरुगुरु राम दास1534-1581
पाँचवें गुरुगुरु अर्जन देव1563-1606
छटवें गुरुगुरु हरगोविन्द1595-1644
सातवें गुरुगुरु हर राई1630-1661
आठवें गुरुगुरु हरकृष्ण1656-1664
नौवें गुरुगुरु तेज बहादुर1621-1675
दशवें गुरुगुरु गोबिंद सिंह1666-1708

गुरु गोविन्द सिंह इस धर्म के 10वें और आखिरी गुरु थे जिन्होंने गुरु ग्रन्थ साहिब को पूरा करके अंतिम रूप दिया और यही ग्रन्थ आज तक आखिरी जीवित गुरु के रूप में जाना जाता है। इस ग्रन्थ के प्रारंभिक दो शब्द एक ओंक्कर हैं जिनका मतलब ईश्वर एक है और यही सबसे बड़ी एवं सच्ची वास्तविकता है।

इस धर्म की शिक्षा को आगे ले जाने के लिए इस धर्म के चौथे गुरु राम दास जी के सहयोग एवं पांचवें गुरु अर्जन देव जी ने हरमंदिर साहिब का निर्माण करवाया जोकि अमृतसर शहर के बीचों बीच आज स्वर्णमंदिर (गोल्डन टेम्पल) के नाम से जाना जाता है। हरमंदिर साहिब या स्वर्णमंदिर सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है जोकि सभी धर्मों के लोगों का समान रूप से सम्मान करता है।

हरमंदिर साहिब के निर्माण के बाद से ही भारत में सिख धर्म (Sikh religion in hindi) तेजी से विस्तार हुआ था। बता दें कि सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जन देव जी और नोवें गुरु तेज बहादुर जी मुगलों द्वारा अपने धर्म की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे।

जिसके बाद 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी (तेज बहादुर जी के पुत्र) ने खालसा पंथ की स्थपाना की जोकि यह खालसा आर्मी जरूरत मंदों की रक्षा करने के लिए विशेष रूप से प्रतिबद्ध थी।

सिख धर्म के बुनियादी सिद्धांत – Basic principal of Sikhism in hindi

  • सिख धर्म संस्थापक एवं पहले गुरु नानक देव जी का मानना था कि चिंतन के जरिए आध्यात्म की ओर बढ़ा जा सकता है और अपनी इस जीवन शैली के जरिए इन्सान अपने भीतर ही ईश्वर के दर्शन कर सकता है। मतलब ईश्वर का न कोई रूप, न कोई आकार, न स्त्री और न ही पुरुष है यह हर चीज में मौजूद है।
  • सिख निर्गुण-भक्ति में विश्वास करते हैं और मूर्ती-पूजा एवं कर्मकांडों से दूर रहते हैं। यह अपने गुरु को बाहेगुरु बुलाते है जिसका मतलब गुरु महान है।
  • इस धर्म में ग्रहस्त जीवन जीना एवं समाज में अधिकता में भोजन दान करना महान है।  इसके अलावा जाति-वाद के खिलाफ एवं समानता को श्रेष्ठ माना जाता है।

सिख धर्म की विशेषता– Specialty of Sikhism in hindi

  • सिख धर्म में आज तक 10 गुरु हुए हैं और यह धर्म इन्ही 10 गुरुओं की शिक्षाओं पर आधारित है। सभी गुरुओं का अपना अलग महत्व है लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इस धर्म के संस्थापक एवं पहले गुरु ‘गुरु नानक देव जी’ को दिया जाता है।
  • सिख धर्म का अपना एक ग्रन्थ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ है जोकि सिखों के सभी गुरुओं ने मिलकर बनाया है। सिख धर्म में गुरु ग्रन्थ साहिब एवं सभी गुरुओं को पूरी श्रद्दा दी जाती है लेकिन पूजा-अर्चना नहीं की जाती है। इस धर्म में पुरुष अपने नाम के आगे सिंह तो वहीं महिलाएं कौर लगाती हैं।
  • दुनिया का पहला गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी के करतारपुर में बनाया गया था जोकि वर्तमान में पाकिस्तान की सीमा के अन्दर मौजूद है। गुरुद्वारे में आमतौर पर हॉलनुमा बड़े-बड़े दो कमरे होते हैं जिसमे एक कमरे में गुरु ग्रन्थ साहिब को रखा जाता है वहीं दूसरे में लंगर की व्यवस्था की जाती है।
  • वर्तमान समय में पूरी दुनिया में सिखों की संख्या लगभग 3 करोड़ है जिसमे 80 प्रतिशत से भी ज्यादा सिख केवल भारत में रहते हैं। इसके अलावा सिखों की एक बड़ी आबादी कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स ऑस्ट्रेलिया एवं मलेशिया आदि में रहती है।
  • बता दें कि भारत के पंजाब राज्य में सिखों के संख्या केवल लगभग 60 प्रतिशत वहीं लगभग 40 प्रतिशत अन्य धर्म के लोग पंजाब में रहते हैं।

FAQs – अधिकांश पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. सिख धर्म के संस्थापक कौन थे?

Ans. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी थे।

Q. गुरुद्वारा किसे कहते हैं?

Ans. गुरुद्वारा एक प्रकार का सिख धर्म का मंदिर होता है जहाँ गुरु ग्रन्थ साहिब को स्थापित किया जाता है और साथ में लंगर कर श्रद्धुलुओं का सेवा भाव किया जाता है।

Q. सिख धर्म की स्थापना किसने की?

Ans. सिख धर्म की स्थापना सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी ने की थी वहीं बाद में इस धर्म को बाकी के 9 गुरुओं ने पूरी दुनिया में विस्तार किया।

Q. सिख धर्म कौन से धर्म से निकला है?

Ans. सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक देव जी हिन्दू परिवार में पैदा हुए थे।

Q. सिखों के धर्म ग्रंथ का क्या नाम है?

Ans. सिख धर्म के ग्रन्थ का नाम गुरु ग्रन्थ साहिब है।  

Q. सिख किसकी पूजा करते हैं?

Ans. सिख किसी की पूजा नहीं करते हैं वल्कि वह अपने ग्रन्थ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ के आगे माथा टेकते हैं।

Q. सरदार कौन से धर्म में आते हैं?

Ans. सरकार मुख्य रूप से सिख धर्म में आते हैं।

Q. सिख और पंजाबी में क्या अंतर है?

Ans. एक सच्चा सिख गुरु ग्रन्थ साहिब के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करता है वहीं पंजाबी केवल पंजाब में रहने वाली एक नागरिक होता है।

Q. दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है?

Ans. जनसख्याँ के आधार पर इसाई धर्म दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है।

निष्कर्ष – The Conclusion

इस लेख में दी गई सिख धर्म से जुडी पूरी जानकारी को हमने एक कहानी के रूप में समझाने का प्रयास किया है जोकि कड़ी मेहनत एवं बहुत खोजबीन करके इस रूप में विस्तार पूर्वक लिखी गई है। इसके बाबजूद भी आपको लगे कि इस लेख में कुछ और जुड़ना चाहिए या कुछ खामियाँ हैं तो हमें कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दें। हम आपके द्वारा करी करी गई प्रतिक्रिया का जल्द ही जबाव देने का पूरा प्रयास करेंगे।

इस लेख में इतना ही जिसमे हमने सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi के अलावा सिख धर्म क्या है? (Sikh dharm kya hai), सिख धर्म का इतिहास (Sikh dharm ka itihas), सिख धर्म के 10 गुरु के नाम (sikh dharm ke 10 guru ke naam), सिख धर्म के सिद्धांत (sikh dharm ke siddhant) और सिख धर्म की विशेषता (sikh dharm ki visheshta) को भी समझाया है।

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