स्वर्ण मंदिर कहाँ है और किसने बनवाया | स्वर्ण मंदिर का इतिहास

दोस्तों हमारा भारत देश अनैकों प्रकार के धार्मिक स्थलों, मान्यताओं, श्रद्धा-भाव एवं आस्थाओं का देश हैं जोकि भारत को धार्मिक-राष्ट्र के रूप में विख्यात बनाता है।

आज आप इस लेख के माध्यम से सिख धर्म-स्थल स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) के बारे में जानेंगे जोकि न केवल सिख धर्म की पवित्र भूमि है वल्कि दुनियाभर के सभी धर्मों में मौजूद श्रद्धालुओं की भक्ति-भावना एवं पर्यटन का प्रमुख स्थल एवं आकर्षण का केंद्र है।

इस लेख को आगे पढ़ते हुए बेहद सुन्दर अमृत सरोवर के बीचों-बीच स्थित सिखों के श्रेष्ठ तीर्थ-स्थल स्वर्ण मंदिर कहाँ है और किसने बनवाया | स्वर्ण मंदिर का इतिहास को विस्तार से जानते हैं।

स्वर्ण मंदिर कहाँ है – Where is golden temple in hindi

सिख धर्म-स्थल स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेम्पल भारतीय राज्य पंजाब में मौजूद अमृतसर शहर के बीचों-बीच अमृत सरोवर नामक पवित्र तालाब में स्थित है मतलब पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के आस-पास बसता है। इसके अलावा अम्रतसर शहर का नाम इसी अमृत सरोवर के नाम पर रखा है। 

इनके अलावा स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब या दरबार साहिब के नाम से भी पुकारा जाता है जोकि सिख धर्म के अनुयाइयों का पवित्र एवं प्रमुख गुरुद्वारा रहा है।

स्वर्ण मंदिर का इतिहास – Golden Temple history in hindi

अमृतशहर के बीचों-बीच स्थित स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेम्पल का इतिहास काफी रोचक है जोकि विभिन्न धर्मों के बीच शुरुआत से ही एकता कायम रखने की ओर अग्रसर है। इस मंदिर की नींव सिखों के चौथे गुरु रामदास जी (इस मंदिर की नींव में गुरु अर्जन साहिब जी का भी अहम भूमिका थी।) ने रखी थी।

400 वर्षों सेभी ज्यादा पुराना यह स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) एवं गुरुद्वारा अमृत सरोवर के बीच में स्थित है। जिसके ऊपर का बाहरी हिस्सा सोने की परत के द्वारा ढका हुआ है जोकि इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) के नाम के रूप में विश्व-विख्यात बनाता है।

कहा जाता है कि गुरु रामदास जी ने सभी धर्मों को समान रूप देने के लिए इस मंदिर की नींव लाहौर के सूफी संत मियां मीर से रखवाई थी जोकि एक मुस्लिम धर्म से वास्ता रखते थे।

इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1588 में आरम्भ हुआ और वहीं 1604 ईसवीं में पूरा हुआ। जिसमे गुरु ग्रन्थ साहिब को स्थापित किया गया है।

बताते हैं कि इस मंदिर का नक्शा एवं पूर्ण रूप से निगरानी सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जन साहिब जी ने खुद अपने हाथों से बनाया था। इसके अलावा इस मंदिर की नींव में गुरु अर्जन साहिब की सबसे अहम भूमिका थी। जिसकी सौन्दर्यता एवं नकासी देखते ही बनती है।

इस गुरूद्वारे (स्वर्ण मंदिर) के चारों दिशाओं की ओर चार दरबाजे मौजूद हैं जोकि मंदिर के निर्माण के समय से ही दर्शाते हैं कि सभी जाति एवं धर्म एक हैं और इस मंदिर में सब धर्म के लोगों का समान रूप से स्वागत है।

स्वर्ण मंदिर को अलग-अलग शासकों द्वारा कई बार बर्बाद एवं नष्ट करने की पूरी कोशिश की गई है लेकिन भक्ति एवं आस्था के चलते इसे सिखों एवं हिन्दुयों ने दुबारा खड़ा कर कायम रखा है।

17वीं सताब्दी के आसपास जब कुछ शासकों ने इस धार्मिक स्थल को नष्ट करने का प्रयास किया था। जिसके बाद इसे दौबारा महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया ने बनवाया था। इसके बाद अफगानों द्वारा इसे 19वीं सदी में पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। जिसके बाद महाराजा रणजीत सिंह जी ने न सिर्फ इसे बनवाया वल्कि इस मंदिर को लगभग 750 किग्रा० सोने की परत से सजवाया था और इस मंदिर पर सोना लगने के बाद ही इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ गया था और इसे विश्व प्रशिद्धि हाशिल हो गई थी।

बता दें कि इस मंदिर पर हमले की घटनाओं का इतिहास को लेकर सभी प्रकार की जानकारियों को स्वर्ण मंदिर (गुरद्वारे) में दर्शाया गया है।

इसके अलावा स्वर्ण मंदिर केंद्र में एक प्रचलित संग्राहलय है जोकि सिख धर्म के महान संतो एवं यौद्धाओं से सम्बंधित अवशेष और कलाकारी संजोय हुए है।

स्वर्ण मंदिर का महत्व

हालाँकि यह सिखों का गुरुद्वारा (स्वर्ण मंदिर) है लेकिन यह धार्मिक-भूमि अपने शुरुआती समय से ही दुनिया में मौजूद सभी धर्मों का समान सम्मान करती रही है। इसी कारण स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में प्रतिदिन हजारों की संख्याओं में श्रद्धालु एवं पर्यटक भक्ति-आराधना के उद्देश्य से आते हैं और प्रसाद के रूप में लंगर (शुद्ध शकाकारी भोजन) ग्रहण करते हैं।

जानकारों के अनुसार स्वर्ण मंदिर का रसोई-घर दुनिया का सबसे बड़ा रसोई-घर माना जाता है जोकि अनगिनित श्रद्धालुओं का प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराता है।

मान्यता है कि स्वर्ण मंदिर के चारों ओर स्थित अमृत सरोवर में नहाने से श्रद्धालुओं के सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

स्वर्ण मंदिर में खाने-पीने एवं रहने की उच्चतम व्यवस्था यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा चढावे एवं अन्य कोषों द्वारा की जाती है। इसी कारण स्वर्ण मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं के लिए हर समय लंगर (भोजन) चलता है और सभी प्रकार की दिल से सेवा की जाती है। 

भोजन के अलावा श्रद्दालुओं के लिए श्री गुरुराम दास सराय में ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। इस सराय में 228 कमरे और वहीं 18 विशाल हॉल मौजूद हैं जिसकी निर्माण वर्ष 1784 में हुआ था। 

स्वर्ण मंदिर वर्ष में कुछ ख़ास मौकों (वैशाखी, लोहड़ी, गुरुनानक पर्व एवं शहीदी दिवस आदि) पर दीवाली की तरह जग-मगाकर प्रकाशित होता है।

श्रद्धालुओं के लिए नियम –

  • स्वर्ण मंदिर के परिसर के अन्दर सभी श्रद्दालुओं को सिर ढकना होता है जोकि विशेष रूप के कपडे एवं स्कार्प अन्दर परिसर में ही प्रदान किये जाते हैं। गुरु बताते हैं कि सिर ढकना ईश्वर के प्रति आदर एवं सम्मान करना होता है। 
  • स्वर्ण मंदिर के अन्दर जूते-चप्पल बाहर उतारकर बहते हुए पानी में पैर धोकर ही अन्दर प्रवेश किया जाता है।
  • स्वर्ण मंदिर (गुरुद्वारा) परिसर में धूम्रपान, गुटका, बीडी, तम्बाकू एवं शराब की पूर्ण रूप से मनाही है।
  • मंदिर परिसर के अन्दर गुरुवाणी सुनने के लिए ज़मीन पर बैठना होता है।

FAQs – बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. स्वर्ण मंदिर के संस्थापक कौन हैं?

Ans. स्वर्ण मंदिर के संस्थापक सिख धर्म के चौथे गुरु रामदास जी हैं।

Q. स्वर्ण मंदिर का निर्माण कब हुआ?

Ans. स्वर्ण मंदिर का निर्माण वर्ष 1588 से 1604 के बीच हुआ।

Q. स्वर्ण मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है?

Ans. स्वर्ण मंदिर किसी नदी के किनारे स्थित न होकर अमृत सरोवर के बीच में स्थित है।

Q. भारत में स्वर्ण मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans. भारत में स्वर्ण मंदिर पंजाब राज्य के अमृतसर शहर के बीचे-बीच स्थित है।

Q. स्वर्ण मंदिर कितने साल पुराना है?

Ans. स्वर्ण मंदिर लगभग 418 साल पुराना है।

Q. स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी?

Ans. स्वर्ण मंदिर की नींव वर्ष 1588 में सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जन साहिब जी के द्वारा लाहौर के सूफी संत मियां मीर से रखवायी गई थी।

Q. स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है?

Ans. स्वर्ण मंदिर में जानकारों के अनुसार लगभग 750 किग्रा० सोना लगा हुआ है।

Q. स्वर्ण मंदिर का दूसरा नाम क्या है?

Ans. स्वर्ण मंदिर का दूसरे नाम श्री हरमंदिर साहिब या दरबार साहिब के नामों से भी जाना जाता है।

Q. स्वर्ण मंदिर में किसकी पूजा होती है?

Ans. स्वर्ण मंदिर में सिख धर्मों के प्रमुख ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ के आगे माथा टेकते हैं।

Q. स्वर्ण मंदिर कौन से राज्य में स्थित है?

Ans. स्वर्ण मंदिर पंजाब राज्य में स्थित है।  

Q. स्वर्ण मंदिर में कितने दरबाजे हैं?

Ans. स्वर्ण मंदिर में चार दरबाजे हैं जोकि सभी जाति-धर्मों का समान सम्मान करते हैं।

Q. गोल्डन टेम्पल को हिंदी में क्या कहते हैं?

Ans. गोल्डन टेम्पल को हिंदी में स्वर्ण मंदिर कहते हैं।

Q. अम्रतसर में क्या मशहूर है?

Ans. अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) मशहूर है।  

निष्कर्ष – The  Conclusion

इस आर्टिकल को यहाँ तक पढने के बाद आपने जाना कि स्वर्ण मंदिर कहाँ है और किसने बनवाया | स्वर्ण मंदिर का इतिहास को जानने के साथ-साथ स्वर्ण मंदिर का निर्माण कैसे हुआ, स्वर्ण मंदिर के निर्माण के समय कौन से गुरु थे और स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया 

इस सम्पूर्ण आर्टिकल में हमारे द्वारा छोटी-बड़ी सभी प्रकार की जानकारी को काफी जांच-पड़ताल के बाद लिखा है। इसके बाबजूद फिर भी कोई कमी या गलती को लेकर आपका सवाल या सुझाव हो तो प्लीज हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएँ। हम आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया का सम्मान करते हैं। 

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