कुतुब मीनार कहाँ है और इसे किसने बनवाया | कुतुबमीनार का इतिहास

नमस्कार दोस्तों, यह लेख बहुत ही रोचक एवं जानकारी भरा होने वाला है क्योंकि इस लेख के माध्यम से आज हम कुतुब मीनार कहाँ है और इसे किसने बनवाया | कुतुबमीनार का इतिहास जानने वाले हैं।

कुतुब मीनार कहाँ है – Where is Qutub Minar in hindi

कुतुब मीनार भारत की राजधानी दक्षिणी-दिल्ली के महरौली इलाके में मौजूद है जोकि ईंट और लाल रंग के बलुआ पत्थर एवं संगमरमर से बनी भारत सहित दुनिया की सबसे ऊँची मीनार (Qutub Minar) है।

इस मीनार (Qutub Minar in hindi) की ऊँचाई 72.5 मीटर है। जिसमे 379 सीढियां हैं और वहीं चौथी और पांचवी मंजिल पर बालकनी बनी हुई है।

कुतुब मीनार किसने बनवाया था – Who built Qutub Minar in hindi

कुतुब मीनार का निर्माण की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाई थी जोकि हिन्दू राजा प्रथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिल्ली की सल्तनत पर राज करने वाला पहला मुस्लिम शासक बना था।

कुतुबुद्दीन ऐबक की इस कुतुब मीनार की नींव का कार्य कराने के बाद ही म्रत्यु हो गई थी मतलब ऐबक इस मीनार को पूरा न बनवा सके। जिसके बाद इस कुतुब मीनार का आगे का कार्य उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने करवाया। जिन्होंने इस मीनार की तीन मंजिल तक निर्माण करवाया था।

लेकिन इस मीनार को दुनिया की सबसे ऊँची और आखिरी मंजिल तक बनवाने का निर्माण-कार्य वर्ष 1368 में फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था।  

बता दें कि कुतुबमीनार एक परिसर के अन्दर बनी हुई है जिस परिसर को ‘कुतुबमीनार परिसर’ के नाम से जाना जाता है। इस परिसर में लोह-स्तम्भ (चन्द्रगुप्त द्वतीय द्वारा बनवाया गया) के अलावा मस्जिदें, अलाई मीनार, अलाई दरबाजा, इमाम जामिन के मकबरे आदि स्मारक मुस्लिम शासकों द्वारा बनाए गए है।

कुतुबमीनार का इतिहास – History of Qutub Minar in hindi

क़ुतुब मीनार का निर्माण कब और किसने करवाया तो इसके लिए कुतुबमीनार के इतिहास के बारे में आगे पढ़ते हैं –

उपर्युक्त लेख से जाहिर है कि क़ुतुब मीनार को किसी एक शासक द्वारा एक समय में पूरा नहीं बनवाया गया था। मतलब कुतुबमीनार (Qutub Minar) की नींव तो कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी लेकिन इस मीनार का पूरी तरह से निर्माण अन्य शासकों द्वारा करवाया गया था।

इतिहासकारों के मुताबिक कुतुबमीनार मुस्लिम शासकों द्वारा भारत में शासन करने की निशानी के तौर पर बनवाई गई थी। मतलब इस्लामिक शासकों के दौर में इस प्रकार के निर्माण कार्य को विशाल विजय-स्तम्भ के रूप में बनाया जाता था क्योंकि उन शासकों का मानना था कि इस प्रकार के विशाल स्मारक बनवाने के बाद इस धरती पर विजेता के रूप में हमें हजारो सालों तक याद किया जाएगा।

क़ुतुबमीनार का निर्माण-कार्य की शुरुआत सन 1199 में मौजूदा शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के शासन काल में हुई लेकिन ऐबक की म्रत्यु के पश्चात इसका निर्माण-कार्य सन 1220 में ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा कराया था। इसके अलावा कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद शमसुद्दीन ने भी इस मीनार की निर्माण में विशेष रूप से देख-रेख की थी।

इसके बाद वर्ष 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पाँचवी और अंतिम मंजिल का निर्माण करवाया था। जिसमे सफ़ेद संगमरमर का इस्तेमाल करवाया था जोकि आज भी मीनार के ऊपरी हिस्से पर देखा जा सकता है।

इसके कुछ वर्षों के बाद 14वीं-15वीं सदी भूकंप के झटकों से मीनार को क्षति पहुंची जोकि लगभग 1505 ईसवी में उस समय के शासक सिकन्दर लोदी ने इस मीनार (Qutub Minar) को सही करवाया था।

इसके बाद एक बार फिर 18वीं सदी में क़ुदरत की मार ने कुतुबमीनार को नुकसान पहुचांया लेकिन जब तक भारत में ब्रिटिश-शासन आ चुका था। इसी के चलते वर्ष 1814 में ब्रिटिश-शासन के आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने मीनार को दुरुस्त करवाया और साथ ही ब्रिटिश-शासन ने क़ुतुबमीनार को अधूरी बताकर बालकनी आदि बनवा दिए जोकि आज भी देखे जा सकते हैं। 

कुतुबमीनार अपने बनने के समय जैसी थी आज उस तरह की नहीं दिखती है क्योंकि इस मीनार में समय-समय पर पुनः निर्माण-कार्य होता रहा है। कई शासकों ने इस मीनार पर समय-समय पर कार्य कराया लेकिन इस क़ुतुबमीनार को बनाने का श्रेय दिल्ली सल्तनत के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक को दिया जाता है।

कुतुबमीनार के इतिहास को जानने के बाद आपको बता दें कि कुतुबमीनार परिसर में बनी इस मीनार और अन्य स्मारकों को 27 हिन्दू एवं जैन मंदिरों को तोड़कर उनके ऊपर मुस्लिम शासकों द्वारा इन स्मारकों को बनवाया गया था।

मंदिरों को तुड़वाकर यह सभी स्मारकों (कुतुबमीनार, मस्जिदें एवं अन्य स्मारक) को बनवाने का शिला-लेख आज भी आप कुतुबमीनार परिसर में आसानी से पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप इस परिसर में अनैकों प्रकार के स्मारक (मंदिर के स्तम्भ एवं टूटी हुई मूर्तियाँ आदि) देख सकते हैं जोकि हिन्दू एवं जैन संस्कृति को भली-भांति दर्शाती हैं।

FAQs – अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न. कुतुबमीनार की ऊँचाई कितनी है?

उत्तर. कुतुबमीनार मीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर ऊँची है।

प्रश्न. कुतुब मीनार कितने मंजिल का है? 

उत्तर. कुतुब मीनार पाँच मंजिल का है।

प्रश्न. कुतुब मीनार में कितनी सीढियां हैं? 

उत्तर. कुतुब मीनार में कुल 379 सीढियां हैं।

प्रश्न. कुतुब मीनार किस शहर में स्थित है?

उत्तर. कुतुब मीनार दक्षिणी दिल्ली के महरौली में स्थित है।

प्रश्न. कुतुब मीनार को किसने बनवाया था?

उत्तर. कुतुब मीनार की नींव मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी वहीं आगे का निर्माण-कार्य उसके उत्तराधिकारियों द्वारा करवाया गया था।

प्रश्न. कुतुब मीनार का निर्माण कब हुआ?

उत्तर. कुतुब मीनार का निर्माण वर्ष 1199 से 1220 के बीच में हुआ था।

प्रश्न. कुतुब मीनार बनाने में कितना समय लगा?

उत्तर. कुतुब मीनार को बनाने में 21 वर्ष का समय लगा था।

प्रश्न. कुतुबमीनार का नाम कुतुबमीनार क्यों रखा गया?

उत्तर. इतिहासकारों के अनुसार कुतुबमीनार का नाम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया है।

प्रश्न. दुनिया की सबसे ऊँची मीनार कौन सी है?

उत्तर. कुतुबमीनार दुनिया की सबसे ऊँची मीनार है।

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जितनी भी दुनियाभर में एतिहासिक धरोहरें एवं स्मारक मौजूद हैं। उनके निर्माण की सटीक रूप से शुरूआती जानकारी जुटा पाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी इतिहासकार कढ़ी महनत एवं जांच-पड़ताल के बाद इतिहास के बारे में लगभग-लगभग सटीक जानकारी जुटाने में सक्षम हो पाते हैं।

ठीक इसी प्रकार इस आर्टिकल में दी गई जानकारी काफी महनत एवं कढी रिसर्च के बाद उपलब्ध करवायी गई। इसके बाबजूद आपको लगे कि इसमें कुछ तथ्य छूट गए हैं या फिर गलत हैं तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। हम आपकी द्वारा की गई प्रतिक्रिया का पूर्ण रूप से सम्मान करते हैं।

निष्कर्ष – The Conclusion

आज आपने इस आर्टिकल के माध्यम से कुतुबमीनार से जुडी अहम जानकारी को जाना जिसमे हमने कुतुब मीनार कहाँ है और इसे किसने बनवाया | कुतुबमीनार का इतिहास को कम शब्दों में सरलता से समझाने का प्रयास किया है।

इस पूरे आर्टिकल में दी गई जानकारी को लेकर आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। इसके अलावा आपने इस आर्टिकल से कुछ नया सीखा हो तो कृपया नीचे दिए गए सोशल बटन्स पर क्लिक कर इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिलकुल भी न भूलें।

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