गंगा नदी का महत्व | गंगा नदी के बारे में हिंदी में | Ganga river in hindi

भारत देश अनैकों प्रकार की मान्यताओं के रूप में एक हिन्दू धार्मिक नगरी के रूप में विश्व-विख्यात है और इसी के चलते हमें भारत में हिन्दू धर्म के प्रति अनैकों प्रकार की आस्थाएं एवं मान्यताएँ देखने को मिलती हैं। इन्हीं आस्थाओं के चलते इस लेख में आप हिन्दू धर्म की मान्यतों के अनुसार पावन, पवित्र एवं दुःख-हरिणी गंगा नदी का महत्व | गंगा नदी के बारे में हिंदी में | Ganga river in hindi के बारे में सटीक रूप से जानेंगे।

इस लेख को आगे पढ़ते हुए हम गंगा नदी के आर्थिक एवं धार्मिक महत्व तो जानेंगे ही साथ में गंगा नदी के उद्गम (निर्माण) स्थल के बारे में भी जानेंगे। गंगा नदी के प्रति मान्यता एवं रूचि रखने के कारण हम उम्मीद करते हैं कि आप इस लेख को अंत तक पढ़कर गंगा नदी का महत्व | गंगा नदी के बारे में हिंदी में | Ganga river in hindi को विस्तारपूर्वक जरूर पढेंगे।

गंगा नदी कहाँ है – Where is ganga river in hindi

भारत की राष्ट्रीय नदी एवं हिन्दू धार्मिक अवधारणाओं में देवी की तरह पूजी जाने वाली गंगा नदी (The Ganga River) भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री हिमालय के समीप गौमुख से भागीरथी नदी के रूप में निकलती है जोकि आगे चलते हुए अन्य नदियों (विष्णु गंगा, धौली गंगा, अलकनंदा, नंदाकिनी, पिंडार, मन्दाकिनी) के साथ मिलकर देव प्रयाग में गंगा नदी (Ganga river) का रूप धारण कर लेती है।

गंगा नदी उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से होती हुई भारत में कई हजार किलोमीटर का रास्ता तय करके पश्चिम-बंगाल और बांग्लादेश के समीप सुंदरवन डेल्टा में मिलकर समुन्द्र में समाहित हो जाती है।

गंगा नदी का उद्गम स्थल है – The origin of ganga river in hindi

गंगा नदी का उद्गम या फिर गंगा नदी कैसे बनी? इसके लिए हमें उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थति को समझना होगा। जिसमे उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में बड़े-बड़े ग्लेशियर (बर्फ के पहाड़) मौजूद हैं जोकि भारत में कई नदियों के उद्गम (निर्माण) का कारण बनते हैं।  मतलब हम समझ सकते हैं कि नदियों का उद्गम-श्रोत ग्लेशियर (हिमानी पर्वत) ही होते हैं।

चलिए अब गंगा नदी के उद्गम की बात करते हैं तो यह पवित्र नदी सीधे तौर पर किसी एक ग्लेशियर से निकलकर हरिद्वार में नहीं आती है वल्कि शुरुआती कई नदियों के सयोंग से मिलकर हरिद्वार तक पहुंचती है जोकि गंगा नदी के नाम से जानी जाती है।

आगे पढ़ते हुए समझते हैं कि गंगा नदी किन-किन नदियों से मिलकर बनती है –

उतराखंड में बद्रीनाथ के समीप संतोपत हिमानी पर्वत से दो नदियाँ विष्णु गंगा और धौली गंगा निकलती हैं जोकि आगे चलकर एक साथ मिलकर विष्णु प्रयाग में जाकर मिलती हैं।

बता दें कि जब दो नदियों का आपस में मिलन होता है तो उन नदियों का नाम बदलकर एक नाम रख दिया जाता है या फिर जो गहरी नदी होती है उसके नाम से नदी आगे की ओर बहती हुई चली जाती है।

चूँकि विष्णु गंगा और धौली गंगा विष्णु प्रयाग में समान गहराई के साथ मिलती हैं तो इन दोनों के द्वारा बनी एक नदी का नाम अलकनंदा नदी हो जाता है।

अलकनंदा नदी आगे की ओर बहती है तो उसमे नंदाकिनी नदी (कम गहरी) मिलकर समाप्त हो जाती है। जहाँ समाप्त होती है उस स्थान को नंद प्रयाग कहते हैं।

इसके बाद अलकनंदा नदी आगे की ओर बहती है जिसमे एक और नदी पिंडार नदी (कम गहरी) मिलकर समाप्त हो जाती है जिस जगह को कर्ण प्रयाग कहते हैं।

अलकनंदा इन नदियों को समाहित कर आगे कि ओर बढती है तो उसमे केदारनाथ से आती हुई एक और नदी मन्दाकिनी मिलकर समाप्त हो जाती है जिस जगह को रूद्र प्रयाग कहते हैं।

इसके बाद अलकनंदा नदी उत्तरकाशी के गंगोत्री के गौमुख से आ रही विशाल भागीरथी नदी में जाकर मिल जाती है जिस जगह को देव प्रयाग कहते हैं। चूँकि देव प्रयाग में दोनों नदी (भागीरथी और अलकनंदा) की गहराई समान हो जाती है जिसके चलते देव प्रयाग से ही गंगा नदी (The Ganga River) उद्गम होता है।

मतलब हम समझ सकते हैं कि गंगा नदी कहीं से निकलती नहीं है वल्कि कई नदियों के संगम के द्वारा बनती है

आपने उपर्युक्त लेख में नदियों के मिलन वाली जगह को प्रयाग के रूप में जाना मतलब जहाँ नदियों का मिलन या संगम होता है वह जगह प्रयाग कहलाती है। उपर्युक्त नदियों के द्वारा बने पंच प्रयाग (विष्णु प्रयाग, नंद प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रूद्र प्रयाग और देव प्रयाग) के बारे में भी आपने जान लिया जोकि हिन्दू मान्यता में स्नान की बहुत ही शुभ-स्थान माने जाता है।

गंगा नदी का महत्व – Importance of ganga river in hindi

गंगा नदी का भारत में आर्थिक, धार्मिक, सांस्क्रतिक एवं पौराणिक कथाओं के रूप बहुत अधिक महत्व है जोकि निम्न बिन्दुओं के माध्यम के द्वारा समझते हैं –

गंगा नदी का आर्थिक महत्व –

चूँकि दुनिया में मौजूद सभी प्रकार की नदियाँ आर्थिक रूप से लोगों को फायदा पहुंचाती हैं। इसी के चलते गंगा नदी भी भारत एवं बांग्लादेश के अनैक किसानों को सालभर सिंचाई द्वारा हरित कृषि में अहम भूमिका निभाती है। जिसमे किसान आवश्यक तौर पर फसल कर अनाज का आनंद उठाते हैं।

इसके अलावा गंगा के तट पर्यटन के प्रमुख तीर्थ स्थल बने रहते हैं जिसमे हरिद्वार, वाराणसी एवं प्रयागराज सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी एवं इसकी सहयोगी नदियों पर कई परियोजनाएँ के रूप में बाँध के निर्माण भी किये गए हैं। .

गंगा नदी का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व –

यदि गंगा के धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व की बात करें तो गंगा को देवी के रूप में पूजा जाता है और इसके पानी को पवित्र माना जाता है जोकि हिन्दू धर्म में गंगा जल के नाम से पुकारा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इसके अलावा मान्यता है कि किसी व्यक्ति की म्रत्यु के पश्चात उसकी अस्थियों की राख को गंगा में विसर्जित करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अनैक धार्मिक हिन्दू अपने मरने से पहले गंगा किनारे अंतिम संस्कार करवाने की इच्छा रखते हैं जिससे कि उन्हें मोक्ष मिल सके।

गंगा कि किनारे अनैकों प्रकार के उत्सव जैसे कि गंगा दशहरा, कुंभ, अमावश्य एवं पूर्णिमा का मेला आदि बहुत अधिक श्रद्धा-भाव के साथ मनाए जाते हैं।

गंगा नदी का पौराणिक महत्व –

हिन्दू धर्म में मौजूद लगभग सभी धार्मिक स्थल एवं तीर्थों में पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। यदि गंगा की बात करें तो पहली पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने विष्णु भगवान के पैरों के पसीने की बूंदों से प्रथ्वी की प्रगति के लिए गंगा का निर्माण किया था। जिसमे गंगा के प्रथ्वी पर आते समय भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटा में रखा और प्रथ्वी पर समाहित कर दिया।

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार राजा सगर ने जादुई रूप से हजारों पुत्रों की प्राप्ति की थी। जिसके बाद राजा के द्वारा देव-लोक में विजय पाने हेतु यज्ञ करने के लिए आवश्यक घोडे को भगवान इंद्र ने चुरा लिया। जिसके बाद राजा सगर ने सभी पुत्रों को घोड़े को ढूँढने के लिए भेज दिया। जिसके बाद वह घोडा पाताल लोक में ऋषि कपिल मुनि के पास बंधा मिला जोकि हजारों वर्षों से तपस्या कर रहे थे। घोडा मिलने के बाद सगर के पुत्रों ने ऋषि कपिल मुनि की तपस्या भंग कर दी और अपमान कर कहने लगे कि आपने ही इस घोड़े को चुराया है।

ऋषि कपिल मुनि ने क्रोध स्वरुप जब अपनी आँखे खोलीं तो सगर के हजारों पुत्रों को जलाकर भस्म कर दिया। जिसके बाद राजा सगर के सभी पुत्रों की आत्मा की शांति के लिए राजा सगर के वंशजों ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की और ब्रह्मा को प्रसन्न कर दिया। जिसके बाद भगवान ब्रह्मा ने गंगा को स्वर्ग-लोक से अधिक वेग होने के कारण सीधे ज़मीन पर न भेजने के बजाय भगवान शिव से निवेदन किया कि वह गंगा को अपनी जटाओं में लेकर प्रथ्वी पर समाहित करने की क्रिपा करें। जिसके बाद प्रथ्वी पर गंगा के पवित्र जल का आगमन हुआ।

FAQs – अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न – गंगा नदी कहाँ से निकली है?

उत्तर – गंगा नदी उत्तराखंड की उत्तरकाशी में मौजूद गंगोत्री हिमालय के समीप गौमुख से भागीरथी नदी के रूप में निकलती है।

प्रश्न – भारत में गंगा नदी का क्या महत्व है?

उत्तर – भारत में गंगा नदी हिन्दू धर्म के प्रति बहुत अधिक महत्व है। ऐसा मानना है कि गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा मृत व्यक्ति की राख को गंगा में विसरित करने के बाद ही उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रश्न – गंगा नदी किन किन राज्यों में बहती है?

उत्तर – गंगा नदी कई सारी छोटी-छोटी नदियों में बंटकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाम आदि राज्यों में बहती है।  

प्रश्न – गंगा नदी किन किन शहरों से होकर गुजरती है?

उत्तर – गंगा नदी भारत के अनैक शहरों से होकर गुजरती है यदि कुछ प्रमुख शहरों की बात करें तो इसमें हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, कासगंज, कानपुर, गाजीपुर आदि हैं।

प्रश्न – गंगा नदी किस राज्य में है?

उत्तर – गंगा नदी भारत के उत्तराखंड राज्य से होती हुई उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में होती हुई सुंदरवन में जाकर समुन्द्र में समाहित जाती है।  

प्रश्न – गंगा नदी कितनी लम्बी है?

उत्तर – गंगा नदी भारत में लगभग 2510 किमी० लम्बाई में फैली हुई है।

प्रश्न – गंगा नदी का पानी ख़राब क्यों नहीं होता है?

उत्तर – गंगा नदी के पानी में अधिक रूप में बैक्टीरियोफ़ेज (Bacteriophage) जाता है जोकि हानिकारिक जीवाणु एवं विषाणुओं को मारकर खा जाता है। इसी कारण गंगा का पानी शुद्ध बना रहता है और कभी ख़राब नहीं होता है।

निष्कर्ष – The Conclusion

इस लेख में इतना ही जिसमे आपने गंगा नदी का महत्व | गंगा नदी के बारे में हिंदी में | Ganga river in hindi के अलावा गंगा नदी का उद्गम (The origin of ganga river) एवं गंगा नदी कहाँ मौजूद है? (Where is ganga river) यह सभी बहुत ही आसान रूप में पढ़कर अपने ज्ञान को बढाया है।

दोस्तों गंगा नदी पहाड़ी इलाकों से होती हुई अपने शुद्ध रूप में एक दम साफ़ बहती हुई आ रही है लेकिन वर्तमान जगत में आधुनिकीकरण के चलते गंगा नदी को बहुत अधिक मात्रा में प्रदूषित किया जा रहा है।

हालांकि गंगा को साफ़ करने के लिए सरकारें लगातार प्रयास रही हैं लेकिन गंगा को साफ करने के लिए सभी को एक साथ मिलकर व्यक्तिगत रूप से खड़ा होना चाहिए।

इस लेख से सम्बंधित आपका किसी भी छोटी-बड़ी जानकारी को लेकर किसी भी प्रकार का सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

इस लेख में दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी हो और कुछ नया सीखने को मिला हो तो इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें।

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