नाटो (NATO) क्या है | नाटो का इतिहास | नाटो में कुल देश

दोस्तों आपने टेलीविज़न और यूट्यूब पर समाचार देखते हुए या फिर अखबार पढ़ते हुए अनैकों बार नाटो (NATO) शब्द के बारे में तो जरूर पढ़ा होगा। लेकिन क्या आप नाटो के बारे में पूरी तरह से जानते है कि नाटो (NATO) की स्थापना क्यों हुई थी और नाटो में सदस्य बने रहना कुछ देशों के लिए बहुत ज़रूरी क्यों है? 

नहीं जानते तो बस आगे पढ़ते रहिये क्योंकि इस आर्टिकल के अंत तक आप नाटो (NATO) क्या है | नाटो का इतिहास | नाटो में कुल देश (NATO Members) विस्तार से सटीक रूप से जानेंगे।  

नाटो क्या है – NATO meaning in hindi

नाटो (North Atlantic Treaty Organization) 30 देशों का एक सैन्य गठबंधन है। जिसकी स्थापना वर्ष 1949 में द्वतीय विश्वयुद्ध (Second World War) के बाद यूरोप (पश्चिमी देशों) में साम्यवादी सोबियत संघ के बढ़ते विस्तार को रोकने के लिए किया गया था। इस संगठन (NATO) का शुरुआत से ही मूल सिद्धांत रहा है कि यदि इस संगठन में मौजूद किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो संगठन में मौजूद बाकी के सभी देश आगे आयेगें और उस देश की रक्षा करेंगे।

नाटो का पूरा नाम क्या है – NATO Full form in hindi

नाटो (NATO) का पूरा नाम नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन (North Atlantic Treaty Organization) है जिसे हिंदी में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन के नाम से जाना जाता है।

नाटो की स्थापना – नाटो का इतिहास – History of NATO in hindi

नाटो (NATO) यानिकि नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) की स्थापना की बात करें तो इस संगठन की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को 12 देशों के द्वारा हुई थी। जिनमे प्रारंभिक 12 देश यूनाइटेड स्टेट्स, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, बेल्जियम, डेनमार्क, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, लक्सेम्बर्ग, आइसलैंड एवं पुर्तगाल थे।

इस संगठन को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य यूरोप में शांति बनाए रखना था क्योंकि द्वतीय विश्वयुद्ध में बहुत अधिकता में जान-माल का नुकसान हुआ था। इस युद्ध के बाद सोबियत संघ द्वारा संभावित खतरे को देखते हुए। अमेरिका के साथ यूरोपियन देशों ने मिलकर इस संगठन (North Atlantic Treaty Organization) की स्थापना की जिसकी अगुयायी सयुंक्त राज्य अमेरिका (United States) ने ही की थी और आज भी यूनाइटेड स्टेट्स इस संगठन (नाटो) का प्रमुख हिस्सा बना हुआ है।

बता दें कि इस सैन्य संगठन (नाटो) में उपर्युक्त 12 देशों ने अपनी सैनाएँ ब्रुसेल्स की संधि के तहत साझा करने का निर्णय लिया था। जिसमे तय किया गया कि किसी भी एक देश पर हमला होने होने पर सभी 12 संगठित देश एक साथ सामूहिक सैनिक सहायता, सामाजिक एवं आर्थिक सहयोग करेंगे।

रोचक बात यह थी कि इस संगठन (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) में मौजूद सभी देशों की सैनाएँ एक-दूसरे के देशों में अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षण के लिए भेजी जाने लगीं जिससे इस संगठन (नाटो) का दबदबा पूरी दुनिया में कायम होने लगा क्योंकि इन सैनिकों को प्रशिक्षण के दौरान हर प्रकार की परिस्थति से निपटने के सख्त एवं सटीक आदेश दिए जाते थे।

चूँकि वर्ष 1949 में इस संगठन में 12 देश पहले ही शामिल हो चुके थे इसके बाद 18 फरबरी, 1952 में दो और देश तुर्की और ग्रीस शामिल हो गए। 9 मई, 1955 में ज़र्मनी, 30 मई, 1982 में स्पेन, 12 मार्च, 1999 को पोलैंड, हंगरी एवं चेक गणराज्य शामिल हुए। इसके बाद अपनी सुरक्षा के नजरिए से इस संगठन में एक साथ 7 देश बुल्गारिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, लतिवा, एस्टोनिया एवं लिथुआनिया 29 मार्च, 2004 को सामिल हो गए। इसके बाद दो अन्य सदस्य देश क्रोएशिया और अल्बानिया 1 अप्रैल, 2009 जुड़े। इसके 8 वर्ष बाद 5 जून, 2017 को मॉन्टेंगरो तो हाल ही में नार्थ मकदूनिया ने 27 मार्च, 2020 को इस सैन्य संगठन में शामिल हुआ है। वहीं नाटो के इन 30 देशों वाले संगठन में आज तक कोई भी एशियायी देश सम्मिलित नहीं हुआ है।

नाटो में कौन-कौन से देश हैं – All NATO countries list in hindi

वर्तमान (2022) समय तक नाटो में कुल सदस्य 30 हैं जोकि निम्न सूचीबद्ध दर्शाए गए हैं –  

  • सयुंक्त राज्य अमेरिका – 1949
  • यूनाइटेड किंगडम – 1949
  • फ्रांस – 1949
  • कनाडा – 1949
  • इटली – 1949
  • बेल्जियम – 1949
  • डेनमार्क – 1949
  • नोर्वे – 1949
  • नीदरलैंड – 1949
  • लक्सेम्बर्ग – 1949
  • आइसलैंड – 1949
  • पुर्तगाल – 1949
  • ग्रीस – 1952
  • तुर्की – 1952
  • जर्मनी – 1955
  • स्पेन – 1982
  • पोलैंड – 1999
  • हंगरी – 1999
  • चेक गणराज्य – 1999
  • बुल्गारिया – 2004
  • रोमानिया – 2004
  • स्लोवाकिया – 2004
  • स्लोवेनिया – 2004
  • लतिवा – 2004
  • एस्टोनिया – 2004
  • लिथुआनिया – 2004
  • अल्बानिया – 2009
  • क्रोएशिया – 2009
  • मॉन्टेंगरो – 2017
  • नार्थ मकदूनिया – 2020

नाटो के प्रमुख कार्य – All work of NATO in hindi

  • यदि नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) के प्रमुख कार्यों या उद्देश्यों की बात करें तो इसका सबसे प्रमुख उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों की सैन्य सुरक्षा को एकजुट कर शांति बनाए रखना है।
  • सोबियत संघ के साम्यवादी विस्तार को पश्चिमी यूरोप में रोकना था जोकि वर्तमान में दुश्मन देशों को रोके रखना है।
  • इस संगठन का शुरुआत से ही सोबियत संघ के खिलाफ पूरी दुनिया को एकजुट करना एवं अमेरिका के प्रभाव को बढ़ाना था जोकि आज भी जारी है।
  • नाटो में सभी निर्णय सभी सदस्य देशों के आधार पर होते हैं।
  • नाटो देशों का सैन्य खर्च दुनिया दुनिया के सभी देशों से लगभग 70% अधिक है।
  • यूनाइटेड स्टेट्स संगठन में शामिल अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक खर्च करता है और इसी कारण यह नाटो का प्रमुख एवं सबसे शक्तिशाली देश बना हुआ है।

उक्रेन नाटो का सदस्य क्यों नहीं है – Why Ukraine is not part of nato

यदि उक्रेन के नाटो सदस्य के सन्दर्भ में बात करें तो वर्ष 1997 में नाटो-उक्रेन कमीशन बना था ताकि भविष्य मे उक्रेन नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) का सदस्य बन सके।  इसके तकरीबन 10 साल बाद वर्ष 2008 में उक्रेन ने नाटो-सदस्य बनने की घोषणा कर दी। इसके बाद उचित प्रक्रिया के तहत उक्रेन का नाटो में जुड़ने का काम शुरू कर दिया।

वर्ष 2017 में उक्रेन के पार्लियामेंट ने विधान अपनाया कि उक्रेन के प्रमुख उद्देश्य, विदेश नीतियां एवं सुरक्षा को देखते हुए नाटो का सदस्य बनना चाहिए।

बता दें कि 16 दिसम्बर, 2021 को उक्रेन के राष्ट्रपति और नाटो चीफ के बीच नाटो के मुख्यालय ब्रुसेल्स में वार्ता (मीटिंग) हुई जिसमे उक्रेन ने साफ़ कर दिया कि रूस के उक्रेन के खिलाफ आक्रामक रवैये को देखते हुए वह अब नाटो गठबंधन की सदस्यता लेने जा रहा है।

आपको बता दें कि उक्रेन रूस के साथ काफी बड़ा बॉर्डर साझा करता है। जिससे साफ़ तौर पर रूस पर असर पड़ेगा। इसके जबाव में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूनाइटेड स्टेट्स के राष्ट्रपति जो बायडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, फ्रांस के मुखिया एवं फ़िनलैंड के राष्टपति के सीधे तौर पर वार्ता करी कि उक्रेन नाटो (NATO Member) का सदस्य न बने।

लेकिन इसके जबाव में सभी देशों ने कहा कि उक्रेन एक स्वतंत्र देश है और उसे अपने फैसले लेने का खुद के अधिकार हैं।

थोडा इतिहास की तरफ देखें तो सोबियत संघ के विघटन के बाद से रूस अपने पडोसी देशों पर कब्ज़ा करता आ रहा है। इसी के साथ उसकी शुरुआत से ही मंशा रही है कि उक्रेन उसके नक्से-कदम पर चले।

बता दें कि पूर्वी उक्रेन के हिस्से (लुहांस्क एवं डोनेत्स्क) में अधिकतर रूसी समर्थक रहते हैं जिन्हें अनैकों वर्षों से रूस सपोर्ट करता आया है। अपनी विस्तारवादी मंशा के चलते और उक्रेन के द्वारा रूस की बात न मानने के कारण 24 फरबरी, 2022 को रूस ने विशेष सैन्य अभियान कहकर उक्रेन देश पर हमला कर दिया।

इस हमले के जबाव में उक्रेनी सेना वर्तमान में (21 मई, 2022 तक) शख्ती से डटी हुई। उक्रेन ने मदद के लिए दुनियाभर में गुहार लगाई। लेकिन रूस ने साफ़ कर दिया कि यदि कोई भी देश उक्रेन का साथ देता है तो हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से बिलकुल भी नही चूकेंगे।

इसी कारण उक्रेन को सीधे तौर के बजाह अप्रत्यक्ष रूप से नाटो एवं अन्य देशों द्वारा एडवांस हथियार एवं हर संभव जरूरी मदद की जा रही है।

FAQs – बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. नाटो की स्थापना कब और क्यों हुई थी?

Ans. नाटो की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 में द्वतीय विश्वयुद्ध के बाद सोबियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए हुई थी।

Q. नाटो का फुल फॉर्म क्या है?

Ans. नाटो (NATO) का फुल फॉर्म ‘नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन’ (North Atlantic Treaty Organization) है।

Q. नाटो में कुल कितने देश हैं?

Ans. नाटो में कुल सदस्यों की संख्या 30 (मई 2022 के अनुसार) है।

Q. नाटो का मुख्यालय कहाँ है?

Ans. नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में मौजूद है।

Q. नाटो का क्या कार्य है?

Ans. नाटो का सबसे प्रमुख कार्य संगठन में शामिल सभी देशों की सैन्य शक्ति को जोड़ना है और एक साथ मिलकर सभी देशों की सुरक्षा करना है।

Q. क्या इंडिया नाटो का सदस्य है?

Ans. इंडिया नाटो का सदस्य नहीं है।

Q. क्या पाकिस्तान नाटो का सदस्य है?

Ans. पाकिस्तान नाटो का सदस्य नहीं है।

Q. क्या रूस नाटो का सदस्य है?

Ans. रूस नाटो का सदस्य नहीं है वल्कि रूस तो इस संगठन के खिलाफ है।

Q. भारत नाटो का सदस्य क्यों नहीं बना?

Ans. नाटो में शुरुआत से भौगोलिक स्थिति के हिसाब से सामरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए सदस्य देश जोड़े जाते रहे हैं लेकिन भारत अपनी भौगोलिक स्थिति एवं कूटनीतिक कारणों से कभी भी नाटो का सदस्य नहीं बन पा रहा है।

निष्कर्ष – The Conclusion

दोस्तों आपने इस आर्टिकल के माध्यम से नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) के बारे में विस्तार से पढ़ा जिसमे हमने नाटो क्या (NATO) है | नाटो का इतिहास | नाटो में कुल कितने देश हैं (nato me kitne desh hai) के अलावा उक्रेन नाटो का हिस्सा क्यों नहीं है? नाटो का क्या अर्थ है (nato kya hai) को सरलता से समझाने का प्रयास किया है।

इसके अलावा इस आर्टिकल से सम्बंधित आपका किसी भी प्रकार का सवाल या सुझाव हो तो हमें नीचे टिप्पणी करके अवश्य बताएँ। और यदि आपको यह आर्टिकल नाटो (NATO) क्या है | नाटो का इतिहास | नाटो में कुल देश 2024 जानकारी पूर्ण लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिलकुल भी न भूलें। साथ ही इस ब्लोगिंग साईट HINDILEAF.COM को विजित करते रहिये और रोचक एवं महवपूर्ण जानकारियों को पढ़कर लाभ उठाते रहिये।

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