ऑक्सीजन की खोज किसने की थी | oxygen gas in hindi

नमस्कार दोस्तों, आप ऑक्सीजन गैस के बारे में तो भली-भांति जानते ही हैं जोकि प्रथ्वी पर मौजूद सभी जीवित जीव-जंतुओं (जीवित प्राणी) के जीवन और प्रकृति (पेड-पौधों) के लिए बहुत जरूरी है। जान लें कि इस रासायनिक तत्व के बिना प्रथ्वी पर जीवन असंभव है क्योंकि ऑक्सीजन के बिना इंसान साँस नहीं ले सकता है एवं पेड़-पौधे फल-भूल नहीं सकते हैं। इसके अलावा क्या आप जानते हैं कि ऑक्सीजन की खोज किसने की थी | oxygen gas in hindi और हमारे जीवन में ऑक्सीजन के क्या-क्या उपयोग हैं?

ऑक्सीजन गैस (Oxygen in hindi) को बहतरता से समझने एवं इसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक पढते रहिये क्योंकि आप इस लेख के अंत तक विस्तार से जानेंगे कि ऑक्सीजन की खोज किसने की थी | oxygen gas in hindi और इसके अलावा ऑक्सीजन क्या है?, प्राक्रतिक ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन में क्या अंतर होता है?, ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में क्या अंतर होता है? और ऑक्सीजन कैसे बनाई जाती है?

ऑक्सीजन क्या है – Oxygen gas meaning in hindi

ऑक्सीजन एक रासायनिक तत्व है जोकि एक रंगहीन, स्वादहीन एवं गंधरहीन एवं दो परमाणुओं द्वारा मिलकर बनी एक गैस है। ऑक्सीजन को हिंदी में ‘प्राण-वायु या जारक’ भी कहते हैं। ऑक्सीजन का रासायनिक सूत्र O2 है जोकि प्रथ्वी पर तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला तत्व है। ऑक्सीजन (Oxygen) प्रथ्वी के अनैक पदार्थों (वायुमंडल, पानी, जीव-जन्तु, खनिज, वनस्पति, चट्टान आदि) में पायी जाती है।

ऑक्सीजन का घनत्व 1.4290 ग्राम/लीटर होता है और वहीं प्रथ्वी पर मौजूद सभी पेड-पौधे कार्बन डाईऑक्साइड गैस (Co2) ग्रहण करते हैं तो वहीं पेड़-पौधे ऑक्सीजन गैस प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

बता दें कि ऑक्सीजन (Oxygen) की खोज से पहले लोगों को पता ही नहीं था कि आखिर कोई भी वस्तु क्यों जलती है? मतलब इस गैस की खोज ने दुनिया को अवगत कराया कि किसी भी वस्तु के जलने के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक ऑक्सीजन (Oxygen) ही है जोकि खुद न जलकर अन्य चीजों को जलाने में सहायक होती है।

यदि प्रथ्वी के वातावरण फैली कुल हवा में मौजूद सभी गैसों की बात करें तो इसमें 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन तथा 1% अन्य गैसे (आर्गन, कार्बन डाईऑक्साइड, नियोन, जीनोन, जल-वाष्प आदि) होती हैं। इसके अलावा पानी में भी ऑक्सीजन की मात्रा होती है लेकिन पानी में अलग-अलग जगहों पर ऑक्सीजन की अलग-अलग मात्रा होती है। मतलब 10 लाख अणु में ऑक्सीजन के सिर्फ 10 अणु होते हैं। इसी कारण हम पानी में साँस नहीं ले सकते हैं लेकिन मछलियाँ और समुंद्री जीव आसानी से साँस ले सकते हैं। 

यहाँ तक ऑक्सीजन गैस (Oxygen Gas) के बारे में पढने के बाद आपके मन में यह सवाल तो जरूर आ रहा होगा कि जो हम साँस लेते हैं; उसमे तो ऑक्सीजन के साथ-साथ अन्य गैसें भी मिली हुई हैं तो क्या हम उन्हें भी साँस के रूप में अपने अन्दर ग्रहण करते हैं तो जबाव है – हाँ।

जब हम साँस लेते हैं तो केवल ऑक्सीजन ही हमारे शरीर के अन्दर नहीं जाती वल्कि वातावरण में मौजूद सभी हवायें (गैसें) हमारे अन्दर साँस के रूप में प्रवेश कर जाती हैं। मतलब साफ़ है कि अभी आप इस आर्टिकल को पढते वक़्त वातावरण में मौजूद केवल 21% ही शुद्ध ऑक्सीजन साँस के रूप में ग्रहण कर रहे हो।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि “एक स्वस्थ व्यक्ति 1 मिनट मे 12 से 20 बार साँस अन्दर-बाहर करता है।” इसके अलावा आपको जानकार आश्चर्य होगा कि ‘एक स्वस्थ इंसान 24 घंटे में 11 हजार लीटर हवा (एयर) साँस के रूप में अन्दर ग्रहण कर लेता है और इस 11 हजार लीटर में ऑक्सीजन की मात्रा महज 21% होती है, मतलब बाकी की 79% हवा (एयर) हमारा शरीर ऑक्सीजन के साथ जबरजस्ती ग्रहण कर लेता है; जिसका हमारे शरीर में कोई कार्य नहीं होता है।’

ऑक्सीजन की खोज कब और किसने की थी – Oxygen discovery in hindi

ऑक्सीजन के बारे में बहुत अच्छे से जान लेने के बाद चलिए जानते हैं की ऑक्सीजन की खोज किसने और किस वर्ष की थी? –

ऑक्सीजन गैस (Oxygen gas) की खोज का श्रेय मुख्यत: तीन वैज्ञानिकों को दिया जाता है। जिनका नाम कार्ल विल्हेम शीले (Carl Wilhelm Scheele), जोसेफ प्रिस्टले (Joseph Priestley) और एन्टोनी लैवोइजियर (Antoine Lavoisier) था।

ऑक्सीजन की खोज सबसे पहले वर्ष 1772 में स्वीडन के वैज्ञानिक कार्ल विल्हेम शीले ने की। शीले ने कई यौगिकों को गर्म करके परिक्षण किया; जिसमे पोटेशियम नाइट्रेट, मैंग्नीज ऑक्साइड, मरकरी ऑक्साइड और अन्य सामिग्री/गैसों को गर्म करके ऑक्सीजन गैस को प्राप्त किया। इस परिक्षण के बाद इन्होने देखा कि इस गैस में वस्तुएं तेजी से जल रही हैं मतलब इन्होने पाया कि यह गैस वस्तुओं के जलने में सहायक होती है। इसके बाद इन्होने इस गैस का नाम अग्रि वायु (फायर एयर) रख दिया। बता दें कि शीले ने अपने प्रयोगों के अवलोकनों को बहुत अच्छे ढंग से संभाल के रखा, लेकिन कभी प्रकाशित नहीं किया। कई वर्षों के इंतजार के बाद वर्ष 1977 में शीले की खोज को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित कर दिया गया।

यदि अंग्रेजी वैज्ञानिक जोसेफ प्रिस्टले की ऑक्सीजन की खोज में योगदान की बात करें तो इनको शुरुआत से ही गैसों के अध्ययन में रुचि थी। जिसमे हवा में मौजूद गैसों का अध्ययन करने में इनकी काफी दिलचस्पी थी, इसी कारण इन्होने देखा की हवा का कुछ भाग ही जलने में सहायक है। जिसके बाद इन्होने वर्ष 1774 में ‘मरकरी ऑक्साइड’ को एक छोटे से पात्र में लेकर एक बंद बर्तन में गर्म किया और बाद में जो वायु निकली उसे एकत्रित कर लिया। इसके बाद जब इन्होने कोई जलती हुई चीज इस वायु में रखी तो वह और भी तेजी से जलने लगी और इन्होने इसे सूंगा तो अन्य गैसों के मुकाबले यह गैस शरीर के लिए बहुत अच्छी थी।

जिससे की प्रिस्टले ने ऑक्सीजन गैस की खोज कर ली थी, लेकिन फिर इन्होने कहा कि मैंने ‘फ़्लोजीस्टन-रहित वायु’ बनाई है और इन्होने इसे डेफ्लोजिस्टिकेटेड एयर (Dephlogisticated Air) नाम दे दिया था। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार प्रिस्टले ने यह प्रयोग वर्ष 1772 में ही कर लिया था लेकिन उन्होंने इस खोज का प्रकाशन वर्ष 1774 में किया था।  

अब यदि फ्रांसीसी वैज्ञानिक एन्टोनी लैवोइजियर की बात करें तो इनकी ऑक्सीजन की खोज में मुख्य भूमिका रही हैं क्योंकि इनसे पहले दोनों वैज्ञानिकों (शीले और प्रिस्टले) ने अपनी खोजों में पदार्थ बना चुके थे। लेकिन वह दोनों इसे एक नया तत्व नहीं बल्कि ‘फ्लॉजिस्टन-रहित वायु’ मानकर चल रहे थे जो कहीं न कहीं आगे चलकर ऑक्सीजन कही जाने वाली थी। इसके बाद एन्टोनी लैवोइजियर ने शीले और प्रिस्टले द्वारा की गई खोजों से जुडी सारी जानकारी अच्छे से इकट्ठी की और उन प्रयोगों को दुबारा से करके देखा। इसके अलावा एन्टोनी लैवोइजियर ने इस विषय को बहुत ही बारीकी से समझा और इनके गुणों का अध्ययन किया।

अपने काफ़ी अध्ययन के बाद एन्टोनी लैवोइजियर ने पाया कि ‘यह हवा (ऑक्सीजन) मुक्त अवस्था में पायी जाती है। न कि किसी विशिष्ट घटक के दहन से उत्पन्न होती है’। जिसे अंत में इन्होने ‘ऑक्सीजन गैस’ का नाम दे दिया। इसके बाद वर्ष 1775 में इन्होने इस खोज को सामान्य रूप से प्रकाशित कर दिया।

आप तीनों वैज्ञानिकों की खोजों के बारे में पढ़ने के बाद मान सकते हैं कि ऑक्सीजन (Oxygen) का सही विचार लाने वाले वैज्ञानिक एन्टोनी लैवोइजियर ही थे।

प्राकृतिक और कृत्रिम ऑक्सीजन कैसे बनती है – How is oxygen made in hindi

वर्तमान समय में हम ऑक्सीजन दो प्रकार से प्राप्त करते हैं। जिसमे पहला तो हम प्रथ्वी के वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन जोकि पेड-पौधों प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया करने से प्राप्त करते हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन के उपयोगों को देखते हुए हम कृत्रिम ऑक्सीजन गैस का बड़े-बड़े प्लांटों और फेक्ट्रीयों में बहुत बड़े पैमाने पर उत्पादन करते हैं।

चलिए जानते हैं कि ऑक्सीजन कैसे बनाते हैं और इसे किस चीज में इकठ्ठा करते हैं? जैसे कि आप जान चुके हैं कि प्रथ्वी के वातावरण में मौजूद हवा मे 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन तथा 1% अन्य गैसों (आर्गन, कार्बन डाईऑक्साइड, नियोन, जीनोन, जल-वाष्प आदि) का मिश्रण मौजूद है। वहीं कृत्रिम ऑक्सीजन गैस प्राप्त करने के लिए हम इन सभी गैसों के मिश्रण में से केवल ऑक्सीजन गैस को कई प्रक्रिया द्वारा ‘एयर सेप्रेसन तकनीक’ से प्रथक (अलग) कर लेते हैं। इस तकनीक में हम “हवा को बहुत अधिक ठंडा करके ऑक्सीजन को अलग करते हैं।”

इस प्रक्रिया में सबसे पहले मिश्रित हवा को ‘स्क्रू कम्प्रेसर‘ की मदद से कॉम्प्रेस करके एक टैंक में भर लिया जाता है। जिसके बाद इसे कई फ़िल्टर से गुजारा जाता है, जिससे कि हवा में मौजूद ठोस कणों, धुल एवं जल-वाष्प आदि को अलग हो जाते हैं। इसके बाद केवल मिश्रित हवा (एयर) बचती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यदि नाइट्रोजन को तेजी से -195.8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ठंडा करते हैं तो वह लिक्विड फॉर्म में आ जाती है। इसी प्रकार ऑक्सीजन को तेजी से -183.0 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ठंडा करने पर यह भी लिक्विड का रूप ले लेती है। इसी प्रकार आर्गन -185 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लिक्विड फॉर्म, जीनोन -108 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लिक्विड आदि गैसों का मिश्रण लिक्विड फॉर्म में बदल जाने के बाद सेपरेशन (Separation) प्रक्रिया द्वारा सभी गैसों को अलग-अलग एकत्रित कर लिया जाता है।

बता दें कि यह 99.5% शुद्ध कृत्रिम ऑक्सीजन गैस लिक्विड फॉर्म में नीले और पीले रंग की दिखाई देती है। जिसे आवश्यकतानुसार छोटे-छोटे मजबूत सिलिंडर में बूस्टर पम्प के द्वारा भर दिया जाता है। इसके अलावा सीधे टेंकरों में ऑक्सीजन भरके आवश्यकता अनुसार जगहों (मेडिकल, इंडस्ट्रीयल, हॉस्पिटैलिटी) पर भेज दिया जाता है। ऑक्सीजन के साथ-साथ बाकी की गैसें (नाइट्रोजन, आर्गन आदि) भी काम आती हैं जोकि आवश्यता के अनुसार अलग-अलग भेज दी जाती हैं।

ऑक्सीजन के उपयोग – Use of oxygen in hindi

ऑक्सीजन के उपयोगों के बारे में पढ़ें तो इनका उपयोग बहुमूल्य है जोकि नीचे दी हुई बिन्दुओं से आसानी से समझा जा सकता हैं।

  • ऑक्सीजन का सबसे प्रमुख उपयोग जीवित प्राणियों का साँस लेने के रूप में किया जाता है। इसके अलावा मेडिसिन में ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है मतलब मेडिकल इमरजेंसी मे मरीज को कृत्रिम ऑक्सीजन ही दी जाती है।
  • ऑक्सीजन स्वयं कभी नहीं जलती है, लेकिन किसी भी चीज को जलाने के लिए अति आवश्यक होती है।
  • ऑक्सीजन दो धातुओं को जोड़ने (बैंडिंग करने में) में और क्लोरीन, सल्फूरिक अम्ल आदि के औधोगिक निर्माण (स्टील इंडस्ट्रीज आदि में) में प्रयोग की जाती है।
  • ऑक्सीजन का प्रयोग समुन्द्र में डाइविंग करने के लिए, ग्लेसियरों या ऊँचे पहाड़ों पर पर्वतारोही के लिए तथा अंतरिक्ष में जाने के लिए अंतरिक्ष-यात्री द्वारा किया जाता है।
  • ऑक्सीजन और ज्वलनशील गैस को फूंकनी से जलाया जाता है। इसे जलने के बाद उत्पन्न ज्वाला का ताप बहुत अधिक होता है, जिससे की लोहे की मोटी चद्दर, मशीन के टूटे भाग आदि को आसानी से काटा जा सकता है।

उपर्युक्त उपयोगों के अलावा कृत्रिम ऑक्सीजन (Artificial Oxygen) को WHO ने आवश्यक दवा-सूची में डाला हुआ है। मेडिकल-इस्तेमाल के लिए कृत्रिम ऑक्सीजन का मूल्य सरकार निर्धारित करती है। इसीलिए मेडिकल सेवाओं के लिए इनके मूल्य प्राइवेट इंडस्ट्रीज निर्धारित नहीं कर सकती हैं।

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FAQs: बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. ऑक्सीजन के खोजकर्ता कौन हैं?

ऑक्सीजन गैस की खोज कई मतभेदों और भ्रान्तियों के चलते तीन वैज्ञानिकों द्वारा हुई थी। जिनका वैज्ञानिकों का नाम नाम कार्ल विल्हेम शीले, जोसेफ प्रिस्टले और एन्टोनी लैवोइजियर था।

Q2. ऑक्सीजन की खोज कब हुई थी?

ऑक्सीजन गैस की खोज कब हुई तो इसका उत्तर सटीक रूप से बता देना जरा मुश्किल है क्योंकि ऑक्सीजन की खोज होने तक इस पर अलग-अलग तीन वैज्ञानिकों ने वर्ष 1772 से लेकर वर्ष 1777 तक अलग-अलग प्रयोग और खोजें प्रकाशित की थीं।

Q3. ऑक्सीजन कैसे बनता है?

यहाँ हम ‘कृत्रिम ऑक्सीजन गैस’ की बात कर रहें हैं जोकि दुनियाभर में बड़े-बड़े प्लांटों और फेक्ट्रीयों में प्रथ्वी के वातावरण में मौजूद हवा (एयर) से बहुत अधिक ठंडे तापमान पर प्रथक कर 99.5% शुद्ध लिक्विड रूप में प्राप्त कर टेंकरों और छोटे-छोटे सिलेंडरों में भर ली जाती है।

Q4. प्राक्रतिक ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन मे क्या अंतर है?

यदि प्राक्रतिक ऑक्सीजन की बात करें तो यह ऑक्सीजन वातावारण में मौजूद कुल हवा की 21% होती है। जो यह स्वस्थ व्यक्ति के साँस लेने के लिए काफी होती है और इसी ऑक्सीजन से सभी जीव-जन्तु सांस लेते हैं।
इससे अलग यदि कोई बीमार व्यक्ति साँस लेने में असमर्थ होता है तो उसे ‘मेडिकल ऑक्सीजन’ दी जाती है जोकि इंसानों के द्वारा फेक्ट्रीयों और प्लांटों में बनाई गई ‘कृतिम ऑक्सीजन गैस’ ही होती है। जिसकी शुद्धता 99.5% तक होती है।

Q5. ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में क्या अंतर होता है?

ऑक्सीजन सिलिंडर (Oxygen Cylinder) में ‘कृतिम ऑक्सीजन गैस’ भरी जाती है जोकि कृत्रिम ऑक्सीजन के बारे में आप इस आर्टिकल को यहाँ तक पढ़कर भली-भांति जान गए होंगे। तो चलिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के बारे में जानते हैं। तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (Oxygen concentrator) एक छोटे से आकार की पोर्टेबल मशीन होती है जोकि कमरे के वातावरण में मौजूद सभी गैसों में से 99.9% शुद्ध ऑक्सीजन को छानकर मरीज को देती है। 
यदि ऑक्सीजन कंसंट्रेटरफायदों की बात करें तो यह बिना रुके नॉन-स्टॉप शुद्ध ऑक्सीजन मरीज को प्रदान कर सकता है, यह सिलिंडर के मुकाबले बहुत हल्का होता है, इसमें सिलिंडर की तरह ख़तम होने और लीकेज होने का डर नहीं होता है। यदि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर नुकसान की बात करें तो यह फ़िलहाल काफ़ी महंगी तकनीक है।  

Q6. हवा में ऑक्सीजन कितने प्रतिशत है?

वातावरण में मौजूद सटीक प्राक्रतिक ऑक्सीजन की मात्रा की बात करें तो यह सभी गैसों की कुल 20.95% है।

Q7. ऑक्सीजन का जीवन में क्या महत्व है?

ऑक्सीजन (Oxygen) का जीवन में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि प्रथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जन्तु और पेड-पौधों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष: The Conclusion

इस लेख में इतना ही जिसमे हमने ऑक्सीजन की खोज किसने की थी | oxygen gas in hindi, ऑक्सीजन क्या होता है? (Oxygen kya hota hai), ऑक्सीजन कैसे बनाई जाती है? (Oxygen kaise banai jati hai), नेचुरल ऑक्सीजन और आर्टिफीसियल ऑक्सीजन में क्या अंतर है? ऑक्सीजन के उपयोग (Oxygen ke upyog), Oxygen kaise banti hai, प्राक्रतिक ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन मे क्या अंतर है?ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में क्या अंतर होता है?  के अलावा Oxygen concentrator kya hota hai के बारे में भी सरलता से समझाया है।

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